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Shakuntla Agarwal

Inspirational

5.0  

Shakuntla Agarwal

Inspirational

||"सबला"||

||"सबला"||

1 min
826


ज़माना नहीं अबला का,

सबला बनना सीख,

अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख,

नौ रूप हैं देवी के,

कब कौन सा है अपनाना?

ये कला भी सीख !


भ्रूण बन कर गर्भ में आई,

तभी से तेरे विरुद्ध छिड़ गई लड़ाई,

टोटका कर लिंग बदलवाना चाहा,

परिक्षण करवाकर पता लगवाया,

फ़िर भी न जाने कैसे,

इस जग में आई,

तुझे, इन ज़ालिमों से कैसे है बचना,

ये कला भी सीख !

ज़माना नहीं अबला का,

सबला बनना सीख,

अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख !


जीव को जीवन देकर तूने,

जीव का उद्धार किया,

उसी जीव के कारण तूने,

आज अपमान का घूँट पिया !

घुट - घुट के जीने से अच्छा,

अपने स्वाभिमान के लिये लड़ना सीख !

ज़माना नहीं अबला का,

सबला बनना सीख,

अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख !


सीढ़ी बना कोई तेरी, ऊपर न चढ़ जाये,

इतनी गणना भी लगाना कहीं,

ठोकरों में रुल न जाये,

रौंद तुझे पैरों के नीचे,

आगे कोई बढ़ न जाये,

दूसरों के कदम से कदम मिलाकर,

आगे बढ़ना सीख !

ज़माना नहीं अबला का,

सबला बनना सीख,

अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख !


माँ है ममता मत छोड़ना,

पर इतना भी समझना,

ममता का सौदा करके,

कोई तुझे न भरमाये !

आँखों में जो सपने हैं,

उन्हें न कोई भुनाये,

सपनों के सहारे,

अपना भविष्य बुनना सीख,

ज़माना नहीं अबला का,

सबला बनना सीख,

अपने अधिकारों के लिए,

"शकुन" लड़ना सीख !

 



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