जंग
जंग
एक समर्पण है बेटी
दूजा दर्पण है बेटा
एक आधार है बेटी
दूजा वंशाधार है बेटा।
एक मां का प्रतिरूप है बेटी
दूजा पिता का रूप है बेटा
एक छांव है बेटी
दूजा धूप है बेटा।
कहने को अंतर हजार है
मगर दोनों ही
अपने अपने जंग को तैयार हैं।
पहले खुद को समझाओ
बेटे को पढ़ाओ
उसे संस्कार के साथ
शिष्टाचार सिखाओ।
फिर बेटी बचाओ
बेटी पढ़ाओ और आगे बढ़ाओ
तब जाके भविष्य उजागर होगा
क्यूंकि बेटियों को मारने
वाला एक बेटा होता है।