Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

अपने लिए एक कविता

अपने लिए एक कविता

1 min
393


चार दिनों की मेरी कहानी

चार दिनों के मेरे फ़साने

आज नहीं है कद्र किसी को

बाद मेरे भला किस को होगी।


फिर भी नहीं कोई शिकवा किसी से

फिर भी नहीं कोई गिला किसी से

जब अपने ही अपने ना हुए तो

गैरों से क्या उम्मीद रखनी।


हँस लेते हैं हर पल

आँखों के आँसू छुपाते हैं

झूठी ये हँसी ही अब

बन गयी है दोस्त मेरी।


और नहीं दोस्त रहा अब

तन्हाइयाँ ही दोस्त मेरी

चाँद सितारों से बाते करते हैं

दरों दीवारों से बातें करते हैं।


इनको अपना हाल सुनाते हैं

इनके संग हँस लेते हैं हम

चार दिनों की मेरी कहानी।।


Rate this content
Log in