दर्द
दर्द
दर्द में भी मुस्कुराते हम रहें
खून अपना यूँ जलाते हम रहें
था बड़ा मुश्किल मगर हमने किया
जख़्म सबसे ही छिपाते हम रहें
वो नही आया बड़ा बेदर्द है
हिचकियां देके बुलाते हम रहें
वो समझता ही नही है बात को
बेवजह उसको सुनाते हम रहें
पत्थरों के शहर में ये क्या किया
आइना सबको दिखाते हम रहें
संगदिल पे क्या असर होता 'लकी'
बेवजह आंसू बहाते हम रहें !