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Poonam Matia

Romance

5.0  

Poonam Matia

Romance

मिलन की पहली बेला

मिलन की पहली बेला

1 min
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धूप थी तेज पर कहाँ लगी

देर तो हुई पर खड़ी रही

दिल घड़ी की टिक-टिक सा

धड़क-धड़क कर बता रहा

आज कोई मिलने को आ रहा।


थी यूँ तो पहली मुलाक़ात

भीतर ही भीतर पर कितने पहर

बीते संग-संग आगोश में

साँसों की लय पर गुनगुना के

सपनों की तरह आँखों में सजा के

जागे हुए सोयी, और सोते में जागी-सी।


इश्क़ का पहला सोपान था

उठता भीतर ही भीतर तूफ़ान था

बिन मिले समा गया कोई रूह-सा

बिन छुए महका दिया कहकशा

ऐसा सुरूर छाया था गात पर

लहराए लता जो हलकी-सी वात पर।


आई है आखिर अब वो घड़ी

रहे उसकी राह पर नज़र गड़ी

आये! आये! अब आ भी जाए

कैसे, कितना कोई दिल को समझाए

अब तो सजन मिलने को आये

मधुर मिलन की पहली बेला

बैठी हूँ पथ में पलके बिछाये।



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