एक सी होती है ममता
एक सी होती है ममता
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धुप से थकी हारी एक मजदूरिन अपने आँचल के टुकड़े में
अपना शिशु लपेटे जा रही थी।
वह गरीब अपने फटे दुपट्टे में ममता समेटे जा रही थी।
इस बात से बेखबर, गरीबी उस शिशु को विरासत में मिल जाएगी,
पेट की आग उसे भी उम्र भर जलायेगी,
वह नादान उसे गर्म हवा के थपेड़ों से बचा रही थी।
उस शिशु का मुँह देखकर वो मुस्कुरा रही थी..
अपनी थकान और बेबसी सब बिसरा रही थी..
जिसके मुख पर न लोगों की नज़र पड़ती न विधाता की,
उसे काला टीका लगाकर अपनी ही नज़र से बचा रही थी..।
वह शिशु भी माँ को देखकर खिलखिलाकर हँसता,
माँ की गोद को ही संसार समझता।
जब तक हो माँ का संरक्षण दुखों की किसे चिंता,
चाहे हो वो मजदूरिन चाहे पास हो उसके सत्ता,
एक सी होती है हर माँ, एक सी होती है ममता..!!