आओगे ना
आओगे ना
ये शब्द यूँ ही बाहर नहीं उमड़ते,
कितने पलो को, जिन्हें किसी और का होना था,
जलाया गया है, तब जाके स्याही बनी है,
और ये जो मेरे शब्दों की रंग –मिजाजी है,
जिन पर मैं अक्सर आपकी तारीफ पा लेता हूँ,
कई रंगीन अपनी जिंदगी के हिस्से,
दिये हैं इनको गढ़ने में,
कुछ अधूरे सपने और बाकी
सिर्फ अंगार बाकी है,
सच बहुत कुछ जला है ....
और देखो चमक
कैसे कविता बन रही है,
मैं कहना चाहता हूँ आपसे,
कोरे सपने आपके वजूद को
खोखला करते हैं
आपकी ज़िद,आपके हौसलें
ये हैं जो आपके
मुकाम को तय करते हैं।
असहमति जताते हो,
नए रास्ते सोच पाते हो,
अपने अंतस की भड़ास
सबको सुना पाते हो,
तो हो युवा, जिन्दा हो,
नहीं तो ,
सभी मूर्तियों को हार नहीं मिलते हैं,
कुछ को मिलती है परिंदों की बीट,
और कुछ के हाथ,
कुछ के नाक नहीं मिलते हैं,
बस आज के लिए काफी है,
अपना पता बता देता हूँ,
लिख लीजिये,
उम्मीद है, आप मिलेंगे, ख़त लिखेंगे,
तन्हाइयों का सरोवर है,
यूँ तो भयंकर विराना है,अँधेरा है,
ख्याबों के तेल से जलता दिया जला मिलेगा,
डर लगे तो ठहरकर पुकार लेना,
बस इसके पास ही मेरा मकान मिलेगा,
आओगे ना,
लिख लिजिय मेरा पता,
बे तरतीब रंग बिखरा मिलेगा,
कुछ सपने सजाने को यूँ ही ब्रश चलाये थे,
संभल के, फिसल मत जाना,
उमीदों का बगीचा,
जिस तक जाने का रास्ता अधूरा है,
हाँ, गोगल लगा के आना,
दूर से मकान बहुत चमकता है,
हाँ, पास आके उसकी
जरूरत नहीं होगी,
बहुत घुमाऊ, उबाऊ,
छितराया रास्ता है,
आओगे ना,
लिख लीजिये मेरा पता
बेशुमार उलझनें लिपटी मिलेंगी,
अँधेरा ज्यादा हो तो,
ये झूठी रोशनी मत करना,
इसको आने की इजाज़त
नहीं है वहाँ,
जैसे हो वैसे चले आना,
बिना मुखौटे के
मकान आपका ही है
कुछ वक्त साथ जरूर लाना,
मैं मिलूँगा,
आपको दिखाऊँगा
यादों की लाइब्रेरी,
आपसे जुड़ा हर पन्ना,
ताजा –ताजा पढ़ी हुई
खुशबू से भरा मिलेगा,
ज्यादा तक्क्लूफ़ की
मुझसे उम्मीद ना करना,
दिल सोफ़ा होगा,
मेरी बातों की चाय,
यादों की नमकीन,
और स्वागत में मेरी मुस्कान,
आओगे ना।।