वीर
वीर
वतन के वास्ते वीरों ने अपना खूं बहाया है।
तिरंगे की बुलंदी को फलक तक यूँ सजाया है।
लगा कर जान की बाजी फतह ख़ल पर किये सैनिक।
वतन ए हिन्द अपना गर्व से तब मुस्कुराया है।
शिवाजी और महाराणा सरीखों के है वंशज हम।
कोई भी शत्रु हो आगे हमारे टिक न पाया है।
मिटा देते जला देते है पापी को जड़ों से हम।
हमारे सामने फिर पाप कोई कर न पाया है।
भले हो प्राकृतिक विपदा या हो मानवी ख़तरा।
हमारे वीर जांबाजों ने ख़तरा सर उठाया है।