एक सितारा टूटा है
एक सितारा टूटा है
आज फिर एक सितारा टूटा है, ज़रूर कोई बात हुई है
चेहरे पर तो खुशी है, मगर अंदर हलचल मची हुई है
आज वो पहलू में नहीं बैठे, रूठ कर चल दिये
रात हमने शमा और अश्कों के संग बिताई है
कलम उठाई कि जज़्बात को पिरो लेंगे आँसू की स्याही से
पर आज काग़ज़ और कलम ने रूठने की कसम खाई है
ग़म - ए - रात बैठी है इंतज़ार में, चाँद के दीदार के लिए
पर हरजाई चाँद ने बादलों में छिप जाने की ज़िद्द पाई है
मौला मेरे, मेरा इलाज़ हुआ है न मुमकिन कुछ रोज़इस दुनिया में दर्द की समझ ‘ज़ोया’ तुझे अब आई है
चाहते हैं के दर्द अब गुलमोहर बनकर खिल जाए
बस यही तमन्ना - ए - आरज़ू सीने में हमने दुबकाई है।।
से