'स्वागत-गीत'
'स्वागत-गीत'
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आम पर आ चुके हैं
मंज़र घने-घने
कई नऐ होर्डिंग उतर चुके हैं
सड़क के चिर-परिचित खंभों से
पुराने होकर,
कुछ स्टॉफ भी बदल चुके हैं
मेरी बस के
ऑफिस जाता हूँ जिसमें,
दुकानों की शेल्फ़ में
खनकने लगे हैं
ठंडे ठंडे पेय बोतल
क़िस्म क़िस्म के
लेबल पहनकर
एक चिड़िया
जो दूर चली गई थी
जाड़े में
सृजन की संभावना लेकर
नीड़ बसेरा करने
रानी मधुमक्खी सी
आ जाऐगी अब
वह भी
ग्रीष्म के चढ़ते सूरज का तेज़
और नवजात शिशु के
बिछलते स्पर्श की
शुचिता लिऐ सगर्व
जोड़ी भर अपनी अँखियों में
मेरे पड़ोस में
पड़ोस को
सुवासित बनाती पूर्ववत्