रोजगार की तलाश
रोजगार की तलाश
वह युवावर्ग ही है जो लगाएगा चक्कर,
भरी दुपहरी में।
पीठ पर बैग और हाथ में रिज़्यूम लिये,
जाएगा हर दफ़्तर की दहलीज पर।
लेगा अनुमति वह, हर ऑफिस में जाने की,
करेगा सामना वहाँ, होने वाले हर एक प्रश्नों का।
क्या मिल भी जाएगी ? उसे चाहत है,
जिस नौकरी के पाने की।
या फिर यूँ ही भटकना पड़ेगा,
उसे हर ऑफिस
की दहलीज पर।
लगा दी जाएगी बोली ,
यूँ उनके चंद शब्दों की,
किसी को मिल भी जाएगा,
अपने सपनों का आशियाना।
तो कोई लगाकर आस,
कुछ अच्छा ही होगा आने वाले वक़्त में
अन्त में हारकर कर लेगा,
समझौता कम से कम सैलरी में।
वह युवावर्ग ही है जो लगाएगा चक्कर,
भरी दुपहरी में।
पीठ पर बैग और हाथ में रिज़्यूम लिये,
जाएगा हर दफ़्तर की दहलीज पर।।