मेरी परिभाषा
मेरी परिभाषा
प्यार करोगे,
तो एक प्रेमी
गर दुलार,
तो हूँ मैं स्नेही।
नफरत, तिरस्कार का ,
इबादत, उपकार का ।
हताश हूँ, फटकार पे ,
निराश हूँ, दुत्कार पे ।
उपहास से हूँ, क्लेशग्रस्त ,
और परिहास से, द्वेषत्रस्त ।
अनादर पे, रोष हूँ मैं ,
प्रसंशा पे, मदहोश हूँ मैं ।
हार का, संताप हूँ ,
जीत का, उल्लास हूँ ।
सम्मान हूँ, जहाँ आदर है ,
अभिमान हूँ, जहाँ सादर है ।
भरोसे का विश्वास हूँ मैं ,
उत्साही की आस हूँ मैं ।
भावों के संसार निरंतर,
और इनके संप्रेषण ।
कर रहा परिलक्षित हूँ मैं,
एक प्रतिबिंबित दर्पण ।