चालाकी
चालाकी
लोगो की चालाकी देखकर, हम चालाकी भूल गए...
तुम सामने आए जब “तनहा”, सहरा से सब फूल गए,
पूछा ज़िंदगी से भी, किसने तोड़ी सांसे, कैसे भूल गए,
लोगो की चालाकी देखकर, हम चालाकी भूल गए...
एक बार नहीं, सो बार किए बहाने, हम हर बात भूल गए,
समझते रहे खुद को सिकंदर, तुम्हे कितने बन्दर घूर गए,
लोगो की चालाकी देखकर, हम चालाकी भूल गए...
कभी नहीं चाहा था खुद को, अब तो हम उनसे भी दूर गए,
बिकता नही प्यार तुम्हारा वाह, पर हम बाज़ार में ज़रूर गए...