करके दिखाना है
करके दिखाना है
शर्मिंदगी महसूस होती है,
कुछ ऐसी बातें,
जब हम कह देते हैं,
सरेआम,
जैसे नौकर, चपरासी,
भिखारी, आदि।
बातें तो सच हैं,
मगर हम यह न कहकर,
भैया जी, बंधु, सखा,
जैसे शब्दों से करें,
तो खुशी होगी,
दोनों को।
किसी को खुश करना,
आसान नहीं बहुत ही,
कठिन काम है।
इससे हमारा,
मानसिक, शारीरिक,
बौद्धिक, सामाजिक,
वृद्धि होती है।
हमें ठान लेना है,
कि हर दिन,
हम बिना कारण के,
कुछ पल जरूर,
हँसेंगे।
इससे चिढ़चिढ़ापन,
मानसिक रोग,
छूमंतर हो जाता है।