मौत
मौत
अब ऐसे द्वार खड़ा हूँ
जहाँ से मौत दिखती है
जी ली अपनी जिंदगी
चल मेरे साथ कहती है
कहना चाहता हूँ कुछ
लेकिन वो सुनती कहाँ है
वो तो है मस्त मग्न
अपनी आगोश में लेती है
जिंदगी सच है या मौत
अब ना समझ आता है
बस एक धुंधलापन
परछाईं अपनी ही दिखती है
है यह मौत का दरवाज़ा
फेरा जन्म मृत्यु का लगता है
जिंदगी की असली सच्चाई
वो सिर्फ मौत ही होती है