मीता
मीता
मीता !
कुछ शब्द उधार दोगे ?
जिनमें मैं तुम्हें बुनती और गुनती रहूँ
थोड़ी मदद करो न !
कुछ शब्दों के मायने ही बदल दो
या भावशून्य बना दो मुझे !
मैंने तुम्हें मीता कहा
थोड़ा सा निभाओ ना !
मेरे एहसास छीन लो
दर्द के, ख़ुशी के
वाणी के तीरों से घायल होने का एहसास
मुझे रोना बिलकुल नहीं पसंद !
मुझे फूलों पर उड़ती रंग बिरंगी
तितलियाँ बहुत प्यारी लगती
लेकिन छूने से डरती हूँ
उनका रंग हाथ में आ जायेगा
वो दुखी होंगी !
मीता !
मुझे एक पत्थर की शिला बना दो ना !!