भ्रम
भ्रम
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नहीं नहीं अब रहने दो
इस आश्वासन को
भ्रम रहे अच्छा है कि
उस दरख़्त के पत्ते कभी झड़े नहीं
फूल कभी गिरे नहीं
कभी मुड़कर नहीं देखा ये मरने जैसा है |