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आदमी हो आदमी सा व्यवहार कीजिऐ

आदमी हो आदमी सा व्यवहार कीजिऐ

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रुठों को मनाओ आप,दिल से निभाओ आप,

सबके ही प्रेम का ये प्याला अब पीजिऐ।

कृष्ण जैसी मित्रता हो,सुदामा सी निश्छलता,
सबको मानवता का उपहार दीजिऐ ।

ग़म सबका मिटाना,सबको है अपनाना,
आइये पवित्रता का ये श्रृंगार लीजिऐ ।

दिल आप न दुखाओ, किसी को भी न सताओ,
आदमी हो आदमी सा व्यवहार कीजिऐ ।

 


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