Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Niharika Singh (अद्विका)

Drama

2.5  

Niharika Singh (अद्विका)

Drama

जटिलता

जटिलता

2 mins
249


नारद कहे हे नारायण नारायण

जब आपने सुंदर संसार बनाया,

सभी प्राणियों में श्रेष्ठ मानव का

क्यों अत्यंत जटिल विवेक बनाया।


जब मनुष्य को मैंने समझना चाहा

मुझे कभी कुछ भी समझ ना आया,

मुख पर कुछ ह्रदय में छिपा होता कुछ

प्रत्येक बार मैंने केवल धोखा ही खाया।


कोई कहता मैं हूँ बड़ा मतवाला

कोई कहता मैं हूं बड़ा दिलवाला,

कोई कहता मैं हूं बड़ा बावला

कोई कहता मैं हूं बड़ा भोला भाला।


कोई है धनकुबेर तो कोई है भिखारी

कोई है कृपालु तो कोई बड़ा अहंकारी,

कोई है निर्बल तो कोई है बलशाली

कोई है निर्माता तो कोई है विनाशकारी।


कोई है सहज और सरल हृदय का

किसी का हृदय है अत्यंत ही जटिल,

किसी के ह्रदय में बहती प्रेम की धार

कोई है स्वभाव से धूर्त और कुटिल।


कोई स्वभाव से है बड़ा उन्मादी

किसी का स्वभाव है धीर और गंभीर,

किसी के मुख पर होती मधुर वाणी

किसी के शब्द देते हैं ह्रदय को चीर।


कोई घूमता है बनकर पागल प्रेमी

कोई घूमता है बनकर ब्रह्मचारी,

कोई फैलाता भेद भाव से घृणा, द्वेष

कोई भेद करे ना कौन नर कौन नारी।


कोई ढिंढोरा पीटता मैं हूं आस्तिक

कोई नास्तिक भी करता पूजा पाठ

कोई सत्कर्म करके भी दुखी रहता

कुकृत्य करने वाले की होती ठाट बाट।


कोई होता बड़े हँसमुख स्वभाव का

कोई होता बड़ा शांत और गंभीर,

कोई होता बड़ा ही चंचल हृदय का

कोई होता निर्विकार और बड़ा धीर।


किसी नार का मुख अत्यंत कुत्सित

किसी नार को बनाई आपने रुपवती,

कोई नार लगती जैसे कोई कोमल कली

किसी नार को बनाई ऐसे जैसे पद्मावती।


कोई नार होती है कैकई जैसी लोभी

किसी का ह्रदय कौशल्या सा महान,

कोई नार गांधारी सी महलों की रानी

कोई कुंती सी रानी होकर दरिद्र समान।


कहे प्रभु नारायण सुन नारद की बात

मैंने बनाया मनुष्य और मैंने रचा संसार,

स्वयं जन्म लेकर मानव रूप में भी

समझ ना पाया मानव के जटिल विचार।


बार बार जन्म ले कर पृथ्वी पर मैं

बार-बार मृत्यु के गोद में ही समाया,

जानने की चेष्टा करता रहा मैं बार-बार

आज तक मानव चरित्र समझ ना आया।


हे नारद तुम भी हो अत्यंत जटिल मन का

हृदय में कुछ औ' मुख में नारायण नारायण,

इधर की बात उधर लगाकर समझते हो

हो तुम बड़े ही विवेकशील कर्तव्यपरायण।


सुन प्रभु की बात नारद कहे हे नारायण

आप सब में सब आप में आप कहते हो,

जैसे भक्तों के हृदय में वास करते हो

क्या वैसे ही पापियों के हृदय में रहते हो ?


फिर तो भक्त भी पापियों सा व्यवहार करेगा

छोड़कर निज अच्छे कर्म कुकृत्य ही करेगा,

हे नारद पापियों को पाप का मिलता है दंड

भक्त अपने भक्ति से स्वर्ग में प्रवेश करेगा।


क्यों शिशुओं को मिलता है कष्टप्रद जीवन

पाप, पुण्य का खेल उन्हें समझ नहीं आता,

हे प्रभु, इसी विषय पर मन मेरा उलझा है

मुझे आपका न्याय कभी समझ नहीं आता।


Rate this content
Log in