चाहत
चाहत
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बसन्ती हवा संग
उड़ना चाहती हूँ मैं
सबकुछ बदल जाये
और ऐसी ही हवा चले
बस तुम रहो
और खींचते रहो अपनी ओर
तुम समय बन जाओ
और मैं जड़
बसन्ती हवा संग
उड़ना चाहती हूँ मैं
सबकुछ बदल जाये
ऐसी हवा चले
बस तुम रहो
और खींचते रहो अपनी ओर
मैं जड़ बन जाती हूँ
और तुम पलाश।