शहीद भगत सिंह
शहीद भगत सिंह
जन्म 28 सितंबर 1907 लायलपूर के वासी थे,
माता विद्यावती कौर पिता सरदार किशन सिंह थे,
छात्र एक मेधावी भारत माँ के पुत्र हिन्दुस्तान के वासी थे,
देश के लिए जज़्बाती थे।
13 अप्रैल 1919 जलियाबाग वाला कांड की लहर जब देखे,
भारत देश को आजाद कराने की प्रतिज्ञा कर बैठे,
जज़्बात से भरे नौजवानों का संगठन कर बैठे,
चन्द्रशेखर आजाद,सुखदेव और राजगुरु से हाथ मिला बैठे,
आजादी की समाँ जला बैठे।
भारत माँ की सौगंध लेकर बोले,
लाला लाजपत राय के प्रतिशोध की ज्वाला जलायेंगे,
खून की नदियाँ बहायेंगे,
अंग्रेजों को भारत से भगायेंगे,
भारत को आजाद करायेंगे।
किए धमाका बम का केन्द्रीय संसद में,
मच गया हड़कम अंग्रेजों के बीच में।
नहीं डरे नहीं झुके देश के लिए लडे,
हजारों कोड़े जब उन पर पड़े,
एक हाथ भारत माँ की जयकारा करें,
एक हाथ तिरंगा लिए खड़े।
जलाई प्रतिशोध की ज्वाला
एक चिंगारी उनके अंदर आकर,
किए तांडव भारी ए.एस.पी साण्डर्स को मारकर,
चला दल उनका हाथों में हाथ मिलाकर,
भारत माँ की जयकार लगाकर।
आ पड़ी अमर होने की घड़ी,
23 मार्च 1931 को गले में फाँसी पड़ी,
तब भारत माँ ने बोल पड़ी,
आजा मेरे लाल तेरे स्वागत में आँचल फैलाकर हूँ खड़ी,
हसते-हसते फाँसी जब गले में पड़ी,
जुबाँ से जवाँ निकल पड़ी,
वंदे मातरम्-वंदे मातरम्।
अमर हो चले भारत माँ के लाल,
आज हम करते हैं उनको याद,
यही हैं मेरी सबसे फरियाद।
आओ मिलकर करते हैं नमन
जो करते थे वतन के जतन,
हाथ उठाकर करें उनको नमन।
वंदे मातरम्-वंदेमातरम्।