तुम तो कातिल ना थे
तुम तो कातिल ना थे
तुम तो कातिल न थे...
फिर मेरी जान पे कैसे बन आये ?
तुम्हारे साथ बिना बेजान सी है मेरी ज़िंदगी !!
कब मुझ में जान डालोगे ?
बेवफा तो तुम नहीं थे...
तो किस बात की सज़ा दी तुमने ?
यूँ तो तुम भी हमसे मोहब्बत करते थे !!
मैंने स्वीकारा पर तुमने छुपाया !!
कभी कहते थे कि मेरा हाथ न छोड़ना !!
मगर मैंने तुम्हारे हाथ के सिवा किसी का न थामा !!
पर आपने तो किसी और का ही हाथ थाम लिया !!
और कसम मुझसे ले ली जीवन भर ~~
न हाथ छोड़ू आपका ~~
खुद तो चले गये किसी और की बाहों में ~~
छोड़ दीया हमे तन्हाई में ~~~
अकेले मरने के लिए ~~😢
क्या यही है मोहब्बत ???
क्या यही है सज़ा-ए-मोहब्बत ???😢