जीवन का मैदान
जीवन का मैदान
माना कि सफर नहीं है आसान,
मंजिल भी हुई आसमान।
कठीन बड़ा है जीवन का मैदान,
केवल मिले यहाँ संघर्ष और विराम।
बेकाबू हो कितने भी हालात,
मगर पीछे खींच नहीं सकते हाथ।
क्योंकि जिंदगी खेल नहीं यार,
जहाँ हम डाल दें हथियार।
माना तानों की मिलती बौछार,
तिरछी नजरों की होती भरमार।
फिर भी अधूरे छोड़ नहीं सकते अरमान।
और न मान सकते हैं हार,
क्योंकि जिंदगी खेल नहीं यार,
जहाँ हम डाल दें हथियार।