होंगे
होंगे
मौत के साथ, जुदा हम होंगे,
जाने कल कैसे, विदा हम होंगे।
बातें होती हैं मगर, दिल की नहीं,
खूलकर जज़्बात, अदा कब होंगे।
होंठ पर बात, आकर रूक जाये,
ऐसे एहसास, अदा कब होंगे।
याद कैसे ना करूँ, तुम बोलो,
फिर मुलाकात, तुमसे कब होंगे।
तुमको कम बोलने, की आदत है,
मेरे अल्फाज़, चुप भी कब होंगे।
ऐसा क्यों कल लगा, जो छोड़ आया,
ऐसे सदमात दिल में, कब होंगे।
सच मेरा रोकता है, तुमको कभी,
रस्म से हट के, बात कब होंगे।
मुंतज़िर मैं भी हूँ, और तुम भी,
दिल को इकरार, दिल से कब होंगे।
छोड़ दूँ फिर से, तुम्हे मैं तन्हा,
वक्त लम्हात, साथ कब होंगे।
दिल में अब तेरे हैं, दुनिया की फिक्र,
तर्क दुनिया समाज, कब होंगे।
हौसला की ही कमी, तुझमें रही,
वरना हालात, ऐसे कब होंगे।