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पहली-पहली बार

पहली-पहली बार

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पहली बार जब उनसे आँखें दो चार हुई,

दिन का चैन और रातों की नींद हराम हुई।


जब जब मिले, सिर्फ नज़रों से बातें हुई,

कुछ कह नहीं पाए,

समय की सीमा यूँ ही समाप्त हुई।


नहीं हुआ आज तक, चाहत का इकरार,

साथ रहने की चाहत,

यूँ ही काल के गर्भ में दफ़न हुई।


मिलें दोनों आज जब वर्षों बाद,

भूली बिसरी यादें ताजा हुई।


मुस्कुराये दोनों, बातें हुईं,

और बातों बातों में ही मुलाकात फिर पूरी हुई।


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