खोये खोये से रहते हैं
खोये खोये से रहते हैं
अपनी ही धुन में खोये खोये से रहते हैं ज़िन्दगी में--
हो जाता है जब कभी प्यार किसी से ज़िन्दगी में
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तलाश रहती है हर पल किसी ख़ास शख़्स की----
बही शख़्स बाद में बन जाता है प्रिय ज़िन्दगी में
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दिन तो गुज़र जाता है उस शख़्स को सामने से देखकर --
रातें भी गुज़र जाती हैं उस शख़्स को देखकर सपनों में
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पल पल जीना मुश्किल हो रहा है मेरा अकेले में ---
आखिर बहुत ख़ास बन गई है तू मेरी ज़िन्दगी में
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कभी ख़ुशियों का जाना , कभी ग़मों का आना ---
सच बहुत से बदलाव आते रहते है ज़िन्दगी में
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उलझ गया हूँ मैं इस नये मोड़ को लेकर यहाँ ---
आखिर कहाँ से करूँ शुरूआत इसकी मैं ज़िन्दगी में