अन्नदाता की औकात
अन्नदाता की औकात
यदि औकात पर आ गया अन्नदाता,
तो त्राहि-त्राहि मच जाएगी।
सत्ता की गोदी में लेटे लोगों,
तुम्हारी भी बूढ़ी नानी याद आ जाएगी।।
पंचतत्व की भी औकात नहीं है,
कि इनका कुछ बिगाड़ सकें।
सब मित्र बने हैं बैठे,
इन्हें नवबात सिखा सकें।।
ये दुनिया के पालनहार यदि,
पांव मोड़कर बैठ जाएंगे,
भूखे पेट मर जाओगे,
यदि साथ छोड़कर हट जाएंगे।।
यदि इनके विरुद्ध में बोले कुछ भी,
तो दौड़ा-दौड़ा के मारेंगे।
किसान और जवान आदर्श हैं मेरे,
इनका एहसान जोड़ा-जोड़ा कर मारेंगे।।
सारी दुनिया ऋणी है इनकी,
ये बात कब तुम जानोगे।
दुनिया के पालनहार हैं ये,
इनका एहसान कब तुम मानोगे।।