उसके आने के बाद
उसके आने के बाद
नजरें मिलीं
संवाद भी हुआ
लेकिन चुपके से आँखों के झरोकों में
शब्दों का एक कारवाँ बनता चला गया
बिना छुए जिस्मों में से
लहरें झोल मारने लगीं
लगा अब अंधड़ आएगा
उसके बाद तेजी से पत्ते अपनी
मौजूदगी का एहसास कराएंगे
वहीँ हुआ
हमारे बीच बिना कहे
एक ऐसा संवाद हुआ
जो वाचिक परम्परा से ऊपर की चीज थी
बारिश का आना भी
बेहद लाज़मी था
ऐसे बरस रहा था पानी
शायद उसको भी पता की
यह कितने दिनों का विरह है
जो अभिव्यक्त हो रहा है
बेपरवाह प्रेम की तरह
अटखेलियां करता हुआ सर्र से बहे जाने को
आमादा था
हमेशा की तरह
हम गीले थे सूखे में होकर भी
गीलापन सतह से उतर कर
हमारी संवेदना में उद्वेलित हो रहा था
प्रेम की लहर बड़ी तेजी से
अपनी जगह बना रही थी
शैतानियाँ हम दोनों के बीच उछल कूद करने लगीं
उँगलियों की पकड़ का जुड़ाव
वैसे ही था
जैसे अभी आसानी से छूटने वाला नहीं था
थमे तब तक मौसम शांत था
सड़कें गीली थी
मन भीगा था
एक रौशनी भीतर तक उजाला कर गई थीं
जिसकी वाकई आवश्यकता थीं
कितने दिनों बाद
मुझ निरक्षर ने पढ़ना सीख लिया था।