नारी
नारी
ए नारी
तू शक्ति का रूप है
जन्म देने वाली तू, विनाशनी भी तू है
तू ही दुर्गा है ...काली भी तू है
घर के साथ काम संभाला तूने
बच्चो पर भी प्यार लुटाया है
मकान को घर बनाया तूने
खुशियाँ बाँट कर जीना तूने ही सिखाया है
कमज़ोर है वो जो नारी को कमजोर समझते है
बताओ ऐसा क्षेत्र कोई जिसमे नारी है नहीं
पुरुषों से जीत कर उभरी है
है नारी की जीत यही
ये कविता सन्देश है हर उस नारी को
जो सहती अन्याय है
याद रखना बात मेरी
जन्म देने वाली तू, विनाशनी भी तू है
तू ही दुर्गा है ...काली भी तू है