ऐ वक़्त
ऐ वक़्त
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जल उठी आज शमा
रुह के अंगार से
ऐ वक्त जरा ठहर
रूबरू हो लूँ मैं
अपने बिछड़े यार से
दर्द का इंसाफ कर लूँ
उनकी जीत मेरी हार से
ऐ वक्त जर ठहर
रूबरू हो लूँ में
अपने बिछड़े यार से
वादे जिनके जिंदगीभर के
हाथ उनसे मांग लूँ
कल तक जिनके बहार थे हम
आज जिंदगी उधार माँग लूँ
कफलखक हो जाये काजी
एक नजर जो देखे प्यार से
ऐ वक्त जरा ठहर
रूबरू हो लूँ में
अपने बिछड़े यार से