गिरोगे तो उठोगे
गिरोगे तो उठोगे
गिरोगे तो उठोगे तुम
बीज मिट्टी,जल पवन में,
करोगे संघर्ष जीवन में
तो नहाओगे परिवर्तन में,
मुसाफिर दुनिया की धारा में...
झर-झरकर झरी से
सींच-सींचकर पौधों से
शिशिर की पतझड़ से
चरमराकर पिस-पिसकर,
सड़ जाओ पीले सूखे पत्तों से...
सृजन और मरघट घर
आने से आवागमन में भरो,
जाने से वंदेमातरम्
अशोक चक्र से विभूषित
हरा सफेद केसरी को वरो...
भोगकर जन्म मरण
जन्म मरण को खोकर
शांती निमंत्रण देकर
खरे सिक्के से उछलो
प्रगट, वर्धन में जीकर...
ना डरडर कर जियो
देश के स्वाभिमान को
अपने रक्षाकवच से सींचो।
आओगे जरूर उभरकर
निश्चय ही नया पौधा बनकर...