आँसू
आँसू
आज आखिर थक हार कर,
हमारे आँसू हमसे पूछ ही बैठे..
"क्यों रोज़-रोज़ बुलाते हो?"
हमने कहा, हम तो उन्हें याद करते हैं,
फिर तुम क्यों चले आते हो..?
माना तुम नहीं सिर्फ आँखों का पानी,
भाषा प्यार और दर्द की भी हो..
मतलब से आओ तो परेशानी,
बेमतलब किसी की याद हो..
आँसू फिर बोले..
याद है जब वो तोड़कर सबकुछ चले गए थे,
आपकी आँखों ने सब हसीन ख्वाब खो दिए थे..
तब से सिर्फ हमने आपका साथ निभाया,
दुखी होने पर भी कभी नहीं बताया..
हम बोले..
जानते हैं, तुमने हर पल साथ निभाया,
दर्द होने पर भी नहीं बताया..
पर हम तुम्हे कभी नहीं बुलाते,
तुम खुद ही चले आते हो,
आँखें नम कर ही जाते हो..
आज तुम्हें एक सीख देते हैं..
"कभी किसी से उम्मीदें ना रखना,
पूरी ना होते देख दुःख बहुत होता है..
जो बहुत अच्छे हों, प्यार कभी उन्हें ना करना,
दूर जाने पर दर्द बहुत होता है.."
और हम रो दिए,
हमारे आँसू फिर बह लिए..
"क्यों रोते हो उनके लिए,
जिन्होंने आपको ठुकरा दिया..
कीमत जाने बिना,
वापिस लौटा दिया.."
हम बोले..
आँसू लिए आँखों में..
"माना हम चुप हैं लफ्ज़ होंठो में दबे,
पर उनके वापिस आने की उम्मीद लगाए"..
सुनकर आँसू हँस दिए..
अगर आपको सचमुच प्यार करते,
आपको छोड़ के वो जाते..?
आपको आँसुओं में भीगा हुआ,
छोड़ के ना जाते..
आपके सपने सच हो जाऐं,
इससे ज़्यादा खुशकिस्मती क्या होगी..
ज़्यादा जुड़ने से पहले ही चले गए,
इससे ज़्यादा खुशकिस्मती क्या होगी?
हम मुस्कुराने की कोशिश कर रहे हैं,
बस इतना ही बोल पाए..
हम उन्हें कभी याद नहीं करते,
वो खुद यादों में आते हैं..
चाहते ना चाहते भी,
आँखें नम कर ही जाते हैं..
अब हम अपनेआप को संभालना चाहते हैं,
इस कोशिश में हमारा साथ निभाना..
अकेले हों हम तो जब चाहे मिलने आ जाना,
पर औरों के सामने ये राज़ ना बताना..
और अब दोबारा कभी मत पूछना..
"आप हमें रोज़-रोज़ क्यों बुलाते हो..?"