आख़िरी सलाम दोस्ती के नाम
आख़िरी सलाम दोस्ती के नाम
बिना बोले बहुत कुछ कह जाते हो,
जब कभी धीरे से मुस्कुराते हो,
पहले कुछ सुनाते हो, खुद खामोश होकर सबको हंसाते हो|
सीधे हो कुछ भी कहते हैं मान जाते हो,
पर खुद तो दिल की सुनते हो, सुनाते हो पर हमको नहीं सुनाते हो|
पूछने पर खामोश हो जाते हो य कोई बहाना बनाते हो,
अकेले मैं ज़्यादा बातें बताते हो,
जब कभी हंसाते हो जान डाल जाते हो,
आंसू दिखाकर जान ले जाते हो,
काफी आदतों में हमसे मेल खाते हो,
हर बार एक ही बात पर सुनाते हो,
तुम क्यों खामोश क्यों कुछ कहती नहीं हो,
जानते हो क्यों कहते नहीं हैं -
क्योंकि जिसे चाहते हैं, उससे कहते नहीं है|
जिससे कहते हैं, उसकी सुनते नहीं है|
जिसकी सुनते हैं, उसे सुनाते नहीं हैं|
कोई राज़ दिल का बताते नहीं है|
अब यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि दोस्ती में चाहना, सुनना और बताना कितना ज़रूरी है|
पूछते हो तो सिर्फ इतना बताएंगे -
कि तुम से मिलकर बहुत कुछ सीखा है बहुत कुछ जाना है,
कैसे जीना है, कैसे आज़माना है,
खुद को पहली बार इतना पुकारा है,
अब तेरे बिन कहां गुज़ारा है,
बस यही कहेंगे कि बिछड़कर बहुत याद आओगे,
कभी हंसाओगे कभी रुलाओगे,
ज़िन्दगी के इस पड़ाव का एक खूबसूरत हिस्सा बन जाओगे,
पता नहीं बिछड़कर कब मिल पाओगे,
पर जब भी मिलोगे खुद के लिए हम को ऐसा ही पाओगे|