माँ
माँ
माँ तेरे दामन को ढूँढती
तेरी यादों में खोती मैं रोती
माँ बन गयी हूँ
फ़िर भी माँ को तरसती सोनिया
ज़िंदगी मुश्किल है
दूर बहुत है तू माँ
तेरे आँचल में सिर रख के
सोना है माँ
बहुत फ़ोन पर बतिया लिए
अब तेरी ख़ुशबू में खोना है माँ
बच्चों की छुट्टियाँ हैं माँ
फिर भी ना आ पायी हूँ
टप टप अश्रु धारा है बह रही
किसको भी ना समझा पायी हूँ
जिम्मेदारियाँ फ़र्ज़
इन्ही को निभा रही हूँ माँ
तेरे दिये संस्कारों से अपना
घर सँवार रही हूँ माँ,
अपना घर सँवार रही हूँ ।।