चर्चा ना कर ...
चर्चा ना कर ...
मैं ग़लत की तू ग़लत
तेरे फ़िराक़ में गुर्चा ना कर,
आजा दुबारा लौट के फ
हम सा ना
मैं ग़लत की तू ग़लत...
मेरे निगाह-ए-शौक़ में यूँ तो कई चेहरे द
मैं ग़लत की तू ग़लत
तेरे फ़िराक़ में गुर्चा ना कर,
आजा दुबारा लौट के फ
हम सा ना
मैं ग़लत की तू ग़लत...
मेरे निगाह-ए-शौक़ में यूँ तो कई चेहरे द