मेरे जाने के बाद
मेरे जाने के बाद
देखती हूँ जब किसी को असमय जाते
दिल धक्क सा हो जाता है
जाने किस पल, कौन घड़ी
किससे छूटा नाता है।
क्यो संचय मैं व्यर्थ करूँ
क्यों लगाऊँ दिल कहीं
न मोह रिश्तों से रखूं
न मोह अपनो से करूँ।
लगाव किसी की न मुझसे हो
हाँ ऐसा ही कुछ व्यवहार करूँ
कुछ लिखुँ डायरी के पन्नो में
बच्चों के लिए
की फुर्सत में कभी याद कर ले
जाने कौन सी
सीख का बादल बन छा जाऊँगी
और बरस जाऊं दुआओ की बारिश बन
बच्चों के आँगन में।
हिदायते लिखूँगी तुम्हारे लिए
की जीना सरल हो तुम्हारा
इन हिदायतों के रूप में फिक्र रहेगी मेरी
तुम्हारे लिए
कुछ पुण्य हो मेरे तो तेरी
रक्षाकवच बन जाऊँगी।
घूमती रहूँगी तेरे आस पास
ओरा बन
बाकी सब छोड़ जाऊँगी यूँ ही
बेतरतीबी से
याद आये मेरी तो सम्हालना।
जमाना मेरी अलमारी
देखना पुराने एलबम
बस कभी कभी
और कभी कुछ लिखना भी
मेरे लिए।
रिक्तता के लिए
मेरे बाद
मेरे लिए
एक ख्वाब सी जगह देना
जो कभी कभी आये
और याद भी न रहे।