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S Ram Verma

Drama

5.0  

S Ram Verma

Drama

कविताएँ सब समेटती है !

कविताएँ सब समेटती है !

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कविताएँ समेटती है, 

हमारे प्यार व तकरार दोनों के पल भी; 

 कविताएँ समेटती है, 

हमारे मिलन की ख़ुशी व जुदाई का दर्द भी।

 

कविताएँ समेटती है, 

मोहब्ब्त के रंग और अभिव्यक्ति के ढंग भी; 

कविताएँ साथ साथ समेटती है, 

एक दूजे के द्वारा की गयी मनुहार व इकरार भी।

 

कविताएँ समेटती है, 

कभी करार तो कभी इन्कार भी; 

कवितायेँ समेटती है,

कभी तकरार तो कभी अंगीकार के पल भी। 


कविताएँ समेटती है, 

दिल-ए-बयान भी जिसमे कभी वो रंग है बदलती भी; 

कवितायेँ कभी रचती है, 

स्वांग तो कभी ख्वाब भी बुनती है।   


कविताएँ कभी समेटती है,

किरचें भी इसलिए कविताओं का हर सफहा होता है; 

हमारे दिल का आईना भी !


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