सत्य की महत्ता
सत्य की महत्ता
सत्य अविजित है, सत्य अपरम्पार है
सत्य कुछ की नफरत का शिकार है
सत्य यवनिका नहीं, सच्चा परोपकार है
यह धर्म का पूर्णरुपेण संसार है।
लालच के मद में क्या कर लोगे ?
क्या किसी का अनुराग पा लोगे ?
स्वयं ही आद्र नयन कर लोगे
क्या अंतरतम मूर्च्छा ना पा लोगे ?
इस क्षणिक प्रसन्नता में न भूलो !
उजाड़ बनते व्यवहार को,
हृदय सीप में उद्वेलित द्वंद को
याद रखो आत्मबल से सब पा लोगे।
सत्य को ना अपनाने वालों
स्वयं से नज़रें बचाने वालों
भस्म भभूति लगाने वालों
ध्यान रखो सब मिल जाओगे
खाक में इक दिन।
सत्य कड़वा है सुना है हमने
पर सत्य ही वास्तविक संतोष है
चैन की नींद सो जाओ
कल से बोलेगे सच ऐसा कहने वालों।
कब तक बचोगे स्वयं से ?
कभी तो होना ही पड़ेगा दो चार :
झाँक सको तो झाँक लो स्वयं में
तभी तो सीख पाओगे सच्चा सदाचार।।