बचपन
बचपन
बचपन
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आज फिर वो बचपन जीना चाहती हूँ
मां के आंचल मे आज फिर से
छुपना चाहती हू
पापा को अपनी फरमाईशे बता कर
दादाजी से सपोर्ट चाहती हूँ
आज फिर वो बचपन जीना चाहती हू
दीदी का श्रृंगार चुराना
भैया को डांट पिटवाना
छुटकी की चोटी खींचकर
फिर से भागना चाहती हूँ
आज फिर वो बचपन जीना चाहती हूँ
सखियों संग खिलोने खेलना
वो टेढ़ी मेढ़ी रोटी बेलना
और अपनी ही बात रखवाना चाहती हूँ
आज फिर से बचपन जीना चाहती हूँ
वो टीचर जी की नकल करना
अपनी गलतियां दोस्तों पर मढना
फिर मन ही मन मुस्कराते चलना चाहती हूँ
आज फिर से बचपन जीना चाहती हूँ
वो नाक से सदा बहता झरना
नकली आंसुओं को भरना
गल्ती होने पर भी लड़ना चाहती हूँ
आज फिर से बचपन जीना चाहती हूँ
अकड़ दिखाकर सबको डराना
और हर एक कमजोर को बचाना
फिर से करना चाहती हूँ
आज फिर से बचपन जीना चाहती हूँ
सबकी आंखो का बनके तारा
ऐसे बिताया बचपन सारा
अपने बच्चों में ये कुछ अंश देख मुस्कराती हूँ
आज फिर से बचपन जीना चाहती हूँ
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