प्रेम के किस्से
प्रेम के किस्से
तुम इमरोज़ हो जाओ तो
शायद मैं अमृता कह लाऊँ।
तुम लैला लिखो तो मैं
अल्लाह सा नूर पाऊँ।
हीर रांझा के किस्से पढूं तो
इश्क़इया कह लाऊँ।
मै रोमियो जूलियट की जोड़ी की
मिसाले कहूँ तो
अंग्रेजी मे लव स्टोरी लिख जाऊँ।
मै साहिबा सी शृंगार करूँ तो
तुम मे जाबाज़ मिर्ज़ा पाऊँ।
मैं रेगिस्तान की रेत पे
तुम्हारा मेरा नाम लिखूँ तो ढोला और मारू सी
प्रेम प्यास अपने भीतर जगा पाऊँ।
मैं तुम्हारे अंदर बाजी सा
प्रेम देखना चाहती अपने लिए।
मैं चाहती हूँ इश्क़ करना
जात पात से परे मस्तानी सी
नाचना चाहती हूँ झूम के।
मैं लकीरें बना कर मिटाना चाहती हूँ
मैं हर दीवार पर तुम्हारा
मेरा प्रेम लिखना चाहती हूँ।
मैं बिछड़ के फिर तुम से
मिलना चाहती हूँ।
सुनो मैं ज़िन्दगी में हर प्रेम
किस्से अपने हिस्से में रखना चाहती हूँ।
मैं मस्त मोला हो के तेरे जैसे
कुम्हार की कच्ची मिट्टी
बनना चाहाती हूँ
मैं शुरू से अंत तक सिर्फ
तुमसे प्रेम करना चाहती हूँ।।