इश्क
इश्क
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अगर कोई मुझसे पूछे, रब कैसा दीखता है
मै उसे अपने प्यार की तस्वीर दिखा दूँ
ऐतबार ना हो उसे तो इबादत में तक़दीर दिखा दूँ
यकीन रखो जो खुद पे तो
जन्नत सी यह दुनिया सजा दूँ
कुछ आवारा परिंदे अक्सर इश्क की
तालीम देने उड़ते हैं
मनचले मनमानी कर प्यार जताने उड़ते हैं
कोई दिल से मोहब्बत करे तो
सजदे में मै कलमे पढवा दूँ
इंसान सा कोई इश्क करे
तो इंसानियत का भी मज़हब बना दूँ
अब तो यह इश्क मोहब्बत जिस्म से है
और दौलत के शौक तिलिस्म से हैं
कोई खुद को भुला कर इश्क करे तो
इश्क को ही दुनिया बना दूँ