Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

चुनी हुई चुप्पियाँ

चुनी हुई चुप्पियाँ

1 min
6.9K


बहुत ख़तरनाक होती हैं

बाज़ वक़्त,इनसे शैह ले लेते हैं

अमन के लुटेरे,कफ़न के सौदागर

हुक्काम और रंजिशें पाले हुए लोग

दिखती ये सन्नाटे सी हैं

पर साज़िशों के पंखो पर सवार

इनकी रफ़्तार प्रकाश वर्षों से

कम नहीं होती

कई बार तो ये तख़्तापलट की

बायस बन दबाये रहती हैं कुटिल हंसी

हताशा की रस्सी पर टाँग

सलाहियत को दे देती हैं फाँसी

मगरमच्छ भी बगलें झाँकते हैं

इनके नकली आँसुओं की पनाहों में

इनका इतिहास बहुत पुराना है

और वर्तमान इन्हीं के कन्धों पर चढ़ा

भविष्य को धकिया देता है

इनका काटा पानी नहीं माँगता

हाज़िर कर देता है जान

[

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational