अरदास
अरदास
रब्ता रब्ता तेरी दुनिया में मुझको आने दे
तुझे तेरा नाम ले कर के मुझको बुलाने दे।
दम घुट रहा है मेरा तुझ से दूर जाने पर
अहसान कर हवा में तेरी खुश्बू मिल जाने दे।
नशा इतना लिए क्यू घूम रही हो खुलेआम
जरा अपनी इन नजरों को नाम महखाने दे।
किनारे समुंदर के बैठ कर भी तड़फ रहा हूँ
जरा होठों से तेरे मुझे अपनी प्यास बुझाने दे।
नाम लेकर तेरा मर जाऊँगा तुझे बदनाम करके
वरना मुझे तेरे शहर में अपनी कब्र बनाने दे।
कुछ पल ही है अब बाकी मेरे जीने के लिए
मान जा अब तो तेरे घर मुझको आने जाने दे।
पूछ रहे थे किसी राहगीर से मेरे घर का पता
जल्दी ना आना सुबह तोड़ा घर तो सजाने दे।
हो जाऊँ फना तेरे इश्क़ में इतना कि हद हो
बस अब रोज थोड़ा थोड़ा खुद को जलाने दे।।