टेसू
टेसू
खिले टेसू
ऐसे लगते मानों
खेल रहे हो पहाड़ों से होली
सुबह का सूरज
गोरी के गाल
जैसे बता रहे हो
खेली है हमने भी होली
संग टेसू के
प्रकृति के रंगों की छटा
जो मौसम से अपने आप
आ जाती है धरती पर
फीके हो जाते है हमारे
निर्मित कृत्रिम रंग
डर लगने लगता है
कोई काट न ले वृक्षो को
ढंक न ले प्रदूषण सूरज को
उपाय ऐसा सोंचे
प्रकृति के संग हम
खेल सके होली