पैसा
पैसा
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पैसा- पैसा अरु पैसा,
फिर कहाँ मनुज, मनु के जैसा।
संबध-सखा, रिश्ते-नाते,
लोभ-लालसा की बातें।
स्वार्थ चरम पर यह कैसा?
पैसा-पैसा अरु पैसा....
बिके धर्म, जमीर अरु तन,
कहीं मूल, राष्ट्र अमूर्त अनंत,
रक्ताभिषेक से प्रफुल्लित,
है यह दानव कैसा?
पैसा-पैसा अरु पैसा,
फिर कहाँ मनुज, मनु के जैसा।