बिटिया
बिटिया
बाद में समझ,
आने का दस्तूर क्यों है ,
जिस बेटी को हुई, इतनी तकलीफ,
वो इंसाफ से दूर क्यों है।
अपनी राजनीति का, ये गन्दा खेल अब,
बंद कर दो तुम सब,पता है जब की,
हुआ है जुल्म, तो कानून इतना,
मजबूर क्यों है।
बाद में समझ,
आने का दस्तूर क्यों है।
तकलीफ हुई थी जो उसको,
माँ बाप की रोती आँखें बताती हैं,
प्यारी आवाज़ थी उनकी बेटी की,
याद करके आज रूह सिहर सी जाती है।
छोटे से बच्चों की बस बोली से ही,
सबको तो दया आ जाती है,
हैवानियत देख कर अब इंसानों की।
अपनी बेटी की चिंता बहुत सताती है,
तकलीफ हुई थी जो उसको,
माँ बाप की रोती आँखें बताती हैं।
क्यों इन शैतानों की आँखों में,
कोई डर नज़र नहीं आता है,
क्या करेंगे ये सब जब कोई,
इनकी बेटी की तरफ,
भी गन्दी नज़र उठाता है।
बेटी तो बेटी होती है,
सबकी बिटिया कहलाती है,
कुछ तो सोचो ऐ शैतानों,
तुम्हे भी एक माँ ने पाला है।
आवाज तो सुनो उस माँ की,
जिसको उस बेटी की याद,
हर रोज बहुत तड़पाती है।