कल
कल
कल भी एक सुबह होगी,
कल भी नया दिन आएगा,
कल भी वो सूरज निकलेगा,
कल भी चाँद छिप जायेगा।
कल भी सपने साकार होंगे,
कल भी अपने, पास होंगे,
कल भी सुहानी रात आएगी,
कल भी हवा लहराएगी।
क्यों हम कल में ही जीते हैं ?
क्या आज का कोई महत्व नहीं ?
क्या कल ही सबकुछ होता है ?
आज कुछ नहीं ?
आज ही तो ज़िन्दगी बनता है,
उस ज़िन्दगी में हमको लाता है,
कल तो आज पर निर्भर करता है,
आज ही कल का निर्माण करता है।
कल तो कभी आता ही नहीं,
वो भी आज में बदल जाता है,
जो आज में जीना सीख ले,
वो कल को भी बदल जाता है।