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स्त्री तुम देवी हो

स्त्री तुम देवी हो

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यहाँ तो उनकी लाशें भी बक्शी नहीं गई है 

देखो इंसानियत कही मैय्यत में तो नहीं बैठी है


इस बार भी गलती तो उस लड़की की ही थी ना 

क्योंकि वो घर से अकेले चली गई है 


तुम ये मत भूलो की तुम्हारे सर कहा से निकले है 

कल अंधेरे में फिर किसी की चीखें दबा दी गई है


उसे फिर किसी ने हाथ लगा दिया था 

रात में घूमती लडक़ी वेश्या कहलाई गयी है 


हम तो ये सुन सुन के बड़े हुए की स्त्रीयों का सम्मान करें 

फिर ये सब जग़ह ऐसी दहशत क्यों छाई हुई है 


तुमसे तो रज़िया सुल्तान की खुशी भी न देखी गई 

रास्ते में फिर वो एक इब्नबतूता से वो मिली है 


दिल में खंजर लेकर इधऱ उधऱ क्यों घूमते हो अभिषेक 

देखो आज के अखबार में कोई नई ख़बर तो नहीं छपी है


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