मेरा सगा भाई
मेरा सगा भाई
गरजता है बरसता है
बातें सुनाता नई नई,
यह बादल हो गया है
जाने कब मेरा सगा भाई।
धूप में जलने लगा है
अब तो तन बदन मेरा,
बादलो की छांव में छुपा लो
कराहता काफिला मेरा।
सुरज बिछाता जा रहा रोशनी की
चादर चारो दिशाओं में
बस रहे हैं परिंदो के सब
घोंसले उधर विदेश में ।
सिमेंट ने डाला चारो ओर डेरा
इमारतों पर इमारतें उठ रहीं
मेरे गांव खलिआन में अब तो
कोई भी नजर आता नहीं।