तुम्हारे बिन...
तुम्हारे बिन...
ये आफ़ताब की रोशनी है
या तुम्हारे चेहरे का नूर...
समझ नहीं पा रहे है हम
किसने रोशन की ये शाम...
चाँद में दिखते हो तुम
मेरे चाँद हो तुम...
बंद करूँ आँखें तो ख़्वाब तुम्हारा
खोलूं लब तो नाम तुम्हारा...
तुम ही हो मेरा सहारा
तुम्हारे बिन ना जीना गँवारा...